मुंबई: महाराष्ट्र की बहुचर्चित माझी लाडकी बहिन योजना एक बार फिर सुर्खियों में है, लेकिन इस बार कारण हैरान करने वाला है। आर्थिक रूप से कमजोर महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई इस योजना में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ है। चौंकाने वाली बात यह है कि न केवल लाखों अपात्र महिलाओं ने इस योजना का लाभ उठाया, बल्कि हजारों पुरुषों ने भी गलत तरीके से खुद को लाभार्थी बनाकर सरकारी खजाने को चूना लगाया। क्या है इस घोटाले की सच्चाई? और क्या मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस इस पर सख्त कार्रवाई करेंगे? आइए, इस खबर को विस्तार से समझते हैं।
योजना में फर्जीवाड़े का सनसनीखेज खुलासा
महाराष्ट्र सरकार ने जून 2024 में माझी लाडकी बहिन योजना शुरू की थी, जिसका मकसद 21 से 65 वर्ष की पात्र महिलाओं को हर महीने 1500 रुपये की आर्थिक सहायता देना था। इस योजना को महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में बीजेपी के नेतृत्व वाली महायुति सरकार की जीत का एक बड़ा कारण माना गया। लेकिन हाल ही में हुई जांच ने इस योजना की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
महिला एवं बाल विकास मंत्री अदिति तटकरे ने बताया कि योजना के तहत 2.52 करोड़ लोगों को लाभ मिलना था, लेकिन जांच में पाया गया कि 26.34 लाख लोग अपात्र होने के बावजूद इसका फायदा उठा रहे थे। हैरानी की बात यह है कि इनमें 14,298 पुरुष भी शामिल हैं, जिन्होंने फर्जी दस्तावेजों के जरिए खुद को महिला लाभार्थी के रूप में पंजीकृत करवाया। इस धोखाधड़ी से सरकारी खजाने को लगभग 4800 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
कैसे हुआ इतना बड़ा फर्जीवाड़ा?
जांच में सामने आया कि कई लोग एक साथ multiple सरकारी योजनाओं का लाभ ले रहे थे, जो इस योजना की शर्तों के खिलाफ है। कुछ परिवारों में एक से ज्यादा सदस्यों ने इस योजना के लिए आवेदन किया, जबकि नियम के अनुसार एक परिवार से केवल एक महिला को ही लाभ मिल सकता है। इसके अलावा, कुछ लाभार्थियों की उम्र 65 वर्ष से अधिक थी, जो योजना की पात्रता से बाहर है।
यहां तक कि 14,298 पुरुषों ने ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली में हेरफेर कर खुद को लाभार्थी बनाया और हर महीने 1500 रुपये की राशि प्राप्त की। इन पुरुषों को अगस्त 2024 से जून 2025 तक 21.44 करोड़ रुपये का भुगतान हो चुका है। यह खुलासा तब हुआ, जब महिला एवं बाल विकास विभाग ने सूचना और प्रौद्योगिकी विभाग की मदद से लाभार्थियों की गहन जांच शुरू की।
सरकार की कार्रवाई: क्या होगा फर्जी लाभार्थियों का?
मंत्री अदिति तटकरे ने साफ किया कि फर्जी तरीके से लाभ उठाने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। जून 2025 से 26.34 लाख अपात्र लाभार्थियों की सहायता अस्थायी रूप से रोक दी गई है। इनके दस्तावेजों का सत्यापन जिला कलेक्टरों के माध्यम से होगा। अगर कोई लाभार्थी पात्र पाया जाता है, तो उसे दोबारा लाभ दिया जाएगा।
उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने कहा, “इस योजना का मकसद गरीब महिलाओं की मदद करना था। पुरुषों द्वारा इसका लाभ लेना पूरी तरह से गलत है। हम इनसे राशि वसूल करेंगे, और अगर सहयोग नहीं किया गया, तो कानूनी कार्रवाई होगी।” मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और अजित पवार इस मामले में कार्रवाई का अंतिम फैसला लेंगे।
पहले भी सामने आए थे फर्जी लाभार्थी
यह पहली बार नहीं है जब इस योजना में अनियमितताएं पकड़ी गई हैं। दिसंबर 2024 में मुख्यमंत्री फडणवीस ने योजना की व्यापक समीक्षा के आदेश दिए थे। जनवरी 2025 तक 5 लाख अपात्र लाभार्थियों को हटा दिया गया था। इनमें 30,000 लोग संजय गांधी निराधार योजना का लाभ ले रहे थे, 1.10 लाख महिलाएं 65 वर्ष से अधिक उम्र की थीं, और 1.60 लाख लोग नमोशक्ति योजना के लाभार्थी थे।
क्या कहते हैं आंकड़े?
नीचे दी गई तालिका में इस घोटाले की मुख्य जानकारी को संक्षेप में समझा जा सकता है:
विवरण | संख्या/राशि |
---|---|
कुल अपात्र लाभार्थी | 26.34 लाख |
फर्जी पुरुष लाभार्थी | 14,298 |
सरकारी नुकसान | 4800 करोड़ रुपये |
पुरुष लाभार्थियों को भुगतान | 21.44 करोड़ रुपये |
पात्र लाभार्थियों को जून 2025 का भुगतान | 2.25 करोड़ महिलाएं |
सरकार का वादा: योजना बंद नहीं होगी
उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने रत्नागिरी में एक रैली के दौरान स्पष्ट किया कि लाडकी बहिन योजना को बंद नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार चाहती है कि इस योजना का लाभ केवल पात्र महिलाओं को मिले। इसके लिए सत्यापन प्रक्रिया को और सख्त किया जाएगा।” अजित पवार ने भी बजट में इस योजना के लिए पर्याप्त धनराशि का प्रावधान करने की बात कही है।
क्या है आगे की राह?
इस घोटाले ने न केवल योजना की पारदर्शिता पर सवाल उठाए हैं, बल्कि सरकारी सिस्टम की खामियों को भी उजागर किया है। सवाल यह है कि इतने बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा कैसे हो गया? क्या ऑनलाइन पंजीकरण प्रणाली में कोई खामी थी, या अधिकारियों की लापरवाही ने इसकी इजाजत दी? इन सवालों के जवाब के लिए विपक्ष ने सीबीआई जांच की मांग की है।
निष्कर्ष: सस्पेंस बरकरार
क्या फर्जी लाभार्थियों से 4800 करोड़ रुपये की वसूली हो पाएगी? क्या देवेंद्र फडणवीस सरकार इस घोटाले के दोषियों पर सख्त कार्रवाई करेगी? और सबसे बड़ा सवाल, क्या यह योजना भविष्य में और पारदर्शी हो पाएगी? इन सवालों के जवाब के लिए हमें इंतजार करना होगा। फिलहाल, सरकार ने साफ कर दिया है कि वह इस मामले को हल्के में नहीं लेगी।
आपको क्या लगता है? क्या इस घोटाले के दोषियों को सजा मिलेगी, या यह मामला भी समय के साथ ठंडा पड़ जाएगा? अपनी राय हमें कमेंट में बताएं।
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