India 2027 Caste Census: भारत सरकार ने हाल ही में घोषणा (Census 2027 Announcement) की है कि देश की अगली जनगणना 2027 (India 2027 Caste Census) में होगी, और इस बार इसमें पहली बार जाति आधारित गणना भी शामिल होगी। यह ऐलान सामाजिक और आर्थिक नीतियों को नई दिशा देने का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। जनगणना न केवल देश की जनसंख्या का आंकलन करती है, बल्कि यह सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा, और संसाधनों के वितरण को समझने का आधार भी प्रदान करती है।
इस बार जाति गणना को शामिल करने का फैसला कई मायनों में ऐतिहासिक है, क्योंकि यह आजादी के बाद पहली बार होगा जब सभी जातियों का आधिकारिक डेटा एकत्र किया जाएगा। यह लेख भारत की 2027 जनगणना (India 2027 Caste Census) और जाति गणना के महत्व, प्रक्रिया, और इसके सामाजिक-राजनीतिक प्रभावों पर विस्तार से चर्चा करता है।
जाति जनगणना का इतिहास (History of caste census in india)
जाति गणना का इतिहास भारत (History of caste census in india) में ब्रिटिश काल से शुरू होता है। 1881 से 1931 तक, ब्रिटिश सरकार हर जनगणना में जाति से संबंधित जानकारी एकत्र करती थी। इस डेटा का उपयोग सामाजिक संरचना को समझने और प्रशासनिक नीतियां बनाने में किया जाता था। हालांकि, आजादी के बाद 1951 से यह प्रक्रिया बंद कर दी गई। तब से जनगणना में केवल अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST), और धर्म के आधार पर जानकारी एकत्र की जाती रही है। अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) की गणना राष्ट्रीय स्तर पर नहीं होती थी, हालांकि कुछ राज्य सरकारों, जैसे बिहार, कर्नाटक, और तेलंगाना ने अपने स्तर पर जाति गणना कराई है।
2011 में सामाजिक-आर्थिक और जाति जनगणना (SECC) के तहत जाति से संबंधित डेटा इकट्ठा करने की कोशिश की गई थी, लेकिन यह डेटा पूरी तरह से सार्वजनिक नहीं किया गया। अब 2027 की जनगणना में जाति गणना को शामिल करने का फैसला सामाजिक न्याय और समावेशी नीतियों की दिशा में एक बड़ा कदम है। web:1
2027 जनगणना की प्रक्रिया (Process of 2027 Census)
2027 की जनगणना (India 2027 Caste Census) दो चरणों में पूरी होगी। पहला चरण जून 2026 में शुरू होगा, जिसमें मकानों की गिनती और घरों से संबंधित जानकारी, जैसे बुनियादी सुविधाएं, निर्माण सामग्री, और उपयोगिता, एकत्र की जाएगी। यह प्रक्रिया 5 से 6 महीने तक चलेगी। दूसरा चरण फरवरी 2027 में शुरू होगा, जिसमें जनसंख्या और जाति से संबंधित आंकड़े एकत्र किए जाएंगे। यह चरण एक महीने तक चलेगा, और 1 मार्च 2027 तक पूरी प्रक्रिया को समाप्त करने का लक्ष्य है।
जाति गणना के तहत प्रत्येक व्यक्ति की जाति, सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा स्तर, और रोजगार जैसी जानकारी एकत्र की जाएगी। हालांकि, सरकार ने स्पष्ट किया है कि अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को एक समूह के रूप में वर्गीकृत नहीं किया जाएगा। इसके बजाय, सभी जातियों की एक सामान्य सूची तैयार की जाएगी। यह फैसला कुछ विवादों को जन्म दे सकता है, क्योंकि OBC समुदाय लंबे समय से अपनी अलग पहचान और आंकड़ों की मांग कर रहे हैं। web:2
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जाति गणना का महत्व (Importance of caste census)
जाति गणना सामाजिक-आर्थिक नीतियों को और अधिक समावेशी बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। यह डेटा सरकार को यह समझने में मदद करेगा कि कौन सी जातियां कहां रहती हैं, उनकी शिक्षा और रोजगार की स्थिति क्या है, और उन्हें किन संसाधनों की जरूरत है। उदाहरण के लिए, अगर किसी क्षेत्र में एक विशेष जाति की आबादी शिक्षा या स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित है, तो सरकार उस क्षेत्र में विशेष योजनाएं लागू कर सकती है।
इसके अलावा, जाति गणना का डेटा सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में भी मदद करेगा। यह नीति निर्माताओं को यह समझने में सहायता देगा कि विभिन्न समुदायों के बीच संसाधनों और अवसरों का वितरण कितना समान है। बिहार में हाल ही में हुई जाति गणना इसका एक उदाहरण है, जहां डेटा के आधार पर सरकार ने OBC और अन्य समुदायों के लिए आरक्षण और कल्याणकारी योजनाओं में बदलाव किए। web:3
परिसीमन और महिला आरक्षण से संबंध (Delimitation India 2027)
2027 की जनगणना (India 2027 Caste Census) का महत्व केवल आंकड़ों तक सीमित नहीं है। इसके परिणाम परिसीमन की प्रक्रिया को प्रभावित करेंगे, जिसमें लोकसभा और विधानसभा सीटों की संख्या और सीमाओं का पुनर्निर्धारण किया जाता है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 82 के अनुसार, हर जनगणना के बाद परिसीमन होना चाहिए। हालांकि, 1976 और 2001 में इसे स्थगित कर दिया गया था, और अब यह 2026 के बाद की पहली जनगणना के आधार पर होगा।
इसके साथ ही, 2023 में पारित 128वें संविधान संशोधन के तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33% आरक्षण का प्रावधान किया गया है। यह आरक्षण तभी लागू होगा, जब जनगणना के बाद परिसीमन पूरा हो जाएगा। यह आरक्षण 15 साल के लिए लागू रहेगा, जिससे यह जनगणना और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
इसके अलावा, सरकार की ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ योजना भी इस जनगणना से जुड़ी हो सकती है। इस योजना के तहत लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने का प्रस्ताव है, जिसके लिए सटीक जनसंख्या और क्षेत्रीय डेटा की जरूरत होगी। web:4
विपक्ष की भूमिका और राजनीतिक प्रभाव
जाति गणना की मांग लंबे समय से विपक्षी दलों, खासकर इंडिया (INDIA) गठबंधन और कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा उठाई जा रही थी। उनका तर्क है कि जाति आधारित डेटा सामाजिक-आर्थिक नीतियों को और प्रभावी बनाने में मदद करेगा। राहुल गांधी ने ‘जितनी आबादी, उतना हक़’ का नारा देकर जातिगत प्रतिनिधित्व की मांग को और तेज किया, जिसका 2024 के लोकसभा चुनावों में विपक्ष को लाभ मिला।
हालांकि, भारतीय जनता पार्टी (BJP) शुरू में जाति गणना के पक्ष में नहीं थी। लेकिन विपक्ष के दबाव और सामाजिक मांगों को देखते हुए, केंद्र सरकार ने 30 अप्रैल 2025 को जाति गणना को मंजूरी दी। यह फैसला राजनीतिक रूप से भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह विभिन्न समुदायों के बीच प्रतिनिधित्व और संसाधन वितरण को प्रभावित कर सकता है। web:5
चुनौतियाँ और विवाद
जाति गणना को लागू करना आसान नहीं होगा। पहली चुनौती है डेटा की सटीकता और गोपनीयता। इतने बड़े पैमाने पर जानकारी एकत्र करने में गलतियों की संभावना रहती है। इसके अलावा, कुछ समुदाय OBC को एक समूह के रूप में वर्गीकृत न करने के फैसले से नाराज हो सकते हैं। यह भी संभव है कि जाति गणना के परिणाम सामाजिक और राजनीतिक तनाव को बढ़ाएं, क्योंकि कुछ समुदाय अधिक संसाधन या आरक्षण की मांग कर सकते हैं।
तकनीकी और लॉजिस्टिक चुनौतियाँ भी कम नहीं हैं। 2011 की जनगणना में लगभग 27 लाख कर्मचारियों ने हिस्सा लिया था, और इस बार भी इतने बड़े पैमाने पर संसाधनों की जरूरत होगी। साथ ही, डिजिटल तकनीक के उपयोग से डेटा संग्रह को और तेज करने की कोशिश की जाएगी, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट और तकनीकी सुविधाओं की कमी एक बड़ी बाधा हो सकती है।
निष्कर्ष
2027 की जनगणना और जाति गणना भारत (India 2027 Caste Census) के सामाजिक, आर्थिक, और राजनीतिक परिदृश्य को नया आकार दे सकती है। यह न केवल देश की जनसंख्या और संसाधनों का सटीक आंकलन करेगी, बल्कि सामाजिक न्याय, समावेशी नीतियों, और समान प्रतिनिधित्व को बढ़ावा देने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। हालांकि, इसके सामने कई चुनौतियाँ हैं, जिन्हें दूर करने के लिए सरकार को सावधानीपूर्वक योजना बनानी होगी। यह जनगणना न केवल आंकड़ों का संग्रह है, बल्कि यह भारत के भविष्य को और समावेशी बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है।
संदर्भ:
- web:1 – PIB India, “Census 2027 Announcement”, 4 June 2025
- web:2 – Ministry of Home Affairs, Government of India, 2025
- web:3 – BBC Hindi, “Bihar Caste Census Report”, 2023
- web:4 – Drishti IAS, “Delimitation and Women’s Reservation”, 2023
- web:5 – Jagran, “Caste Census Approval”, 30 April 2025
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