Census Notification Issued: भारत में 2027 तक दो चरणों में होगी जनगणना, केंद्र सरकार ने जारी की अधिसूचना: पूरी जानकारी

Census Notification Issued: भारत में लंबे समय से प्रतीक्षित जनगणना की प्रक्रिया जल्द ही शुरू होने वाली है। केंद्र सरकार ने जनगणना अधिनियम, 1948 के तहत इसकी आधिकारिक अधिसूचना जारी कर दी है। यह जनगणना दो चरणों में आयोजित की जाएगी और इसे 2027 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है। कोविड-19 महामारी के कारण 2021 में होने वाली जनगणना स्थगित हो गई थी, जिसके बाद अब यह प्रक्रिया 2025 में शुरू होगी। इस बार की जनगणना में कई खास बदलाव देखने को मिलेंगे, जिसमें जातिगत आंकड़े शामिल करना और डिजिटल तकनीक का उपयोग प्रमुख हैं। आइए, इस महत्वपूर्ण प्रक्रिया के बारे में विस्तार से जानते हैं।

जनगणना की प्रमुख बातें

  1. दो चरणों में होगी जनगणना:
    भारत की 16वीं जनगणना दो चरणों में पूरी होगी। पहला चरण हाउस लिस्टिंग (घरों की सूचीकरण) और दूसरा चरण जनसंख्या गणना (पॉपुलेशन सेंसस) होगा। पहला चरण 2026 में शुरू होगा, जबकि दूसरा चरण फरवरी 2027 में शुरू होकर 1 मार्च 2027 तक पूरा होगा।
  2. संदर्भ तिथि (Reference Date):
    देश के अधिकांश हिस्सों के लिए जनगणना की संदर्भ तिथि 1 मार्च 2027 होगी। हालांकि, बर्फीले और दुर्गम क्षेत्रों जैसे लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के लिए यह तिथि 1 अक्टूबर 2026 निर्धारित की गई है। इन क्षेत्रों में ठंड और मौसम की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए पहले गणना पूरी की जाएगी।
  3. डिजिटल तकनीक का उपयोग:
    यह पहली बार होगा जब जनगणना पूरी तरह डिजिटल होगी। मोबाइल ऐप्स, टैबलेट्स और एक समर्पित जनगणना पोर्टल के माध्यम से डेटा एकत्र किया जाएगा। लोग स्व-गणना (Self-Enumeration) का विकल्प भी चुन सकेंगे, जिसमें वे खुद अपने विवरण पोर्टल पर दर्ज कर सकते हैं।
  4. जातिगत जनगणना का समावेश:
    आजादी के बाद पहली बार जनगणना में जातिगत आंकड़े भी शामिल किए जाएंगे। प्रश्नावली में जाति और उप-जाति से संबंधित सवाल होंगे, जो सामाजिक और आर्थिक नीतियों के लिए महत्वपूर्ण होंगे। यह कदम लंबे समय से विपक्ष और सामाजिक संगठनों की मांग थी।
  5. प्रक्रिया की समय-सीमा:
    जनगणना की पूरी प्रक्रिया लगभग 21 महीनों में पूरी होगी। प्रारंभिक डेटा मार्च 2027 में जारी किया जाएगा, जबकि विस्तृत आंकड़े दिसंबर 2027 तक सार्वजनिक होंगे।
  6. परिसीमन और महिला आरक्षण:
    जनगणना के आंकड़ों के आधार पर 2028 तक लोकसभा और विधानसभा सीटों का परिसीमन शुरू हो सकता है। इसके साथ ही, संसद और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण लागू करने की प्रक्रिया भी शुरू हो सकती है, जो 2029 के लोकसभा चुनाव से पहले स्पष्ट हो सकती है।
  7. कर्मचारियों की भूमिका:
    इस विशाल प्रक्रिया में करीब 34 लाख गणनाकार और पर्यवेक्षक शामिल होंगे, जिन्हें डिजिटल उपकरणों और मोबाइल ऐप्स के उपयोग की विशेष ट्रेनिंग दी जाएगी। इसके अलावा, 1.3 लाख जनगणना अधिकारी भी तैनात किए जाएंगे।

जनगणना की प्रक्रिया कैसे होगी?

जनगणना दो मुख्य चरणों में आयोजित की जाती है:

  • पहला चरण: हाउस लिस्टिंग ऑपरेशन (HLO)
    इस चरण में घरों की सूची तैयार की जाएगी। गणनाकार घर-घर जाकर आवासीय स्थिति, संपत्ति, और सुविधाओं (जैसे पेयजल, बिजली, शौचालय आदि) की जानकारी एकत्र करेंगे। यह प्रक्रिया 2026 में शुरू होगी।
  • दूसरा चरण: जनसंख्या गणना (Population Enumeration)
    इस चरण में व्यक्तिगत जानकारी जैसे नाम, आयु, लिंग, जन्म तिथि, वैवाहिक स्थिति, शिक्षा, रोजगार, धर्म, जाति, और प्रवास से संबंधित विवरण दर्ज किए जाएंगे। इस बार प्रश्नावली में करीब 30 सवाल शामिल हो सकते हैं।

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जनगणना का महत्व

जनगणना किसी भी देश के लिए नीति निर्माण का आधार होती है। यह न केवल जनसंख्या की गिनती करती है, बल्कि सामाजिक-आर्थिक स्थिति, शिक्षा, रोजगार, और संसाधनों के वितरण जैसे महत्वपूर्ण आंकड़े भी प्रदान करती है। इन आंकड़ों का उपयोग सरकार योजनाओं, कल्याणकारी कार्यक्रमों, और संसाधन आवंटन के लिए करती है। साथ ही, यह चुनावी परिसीमन और आरक्षण नीतियों के लिए भी महत्वपूर्ण है।

क्यों हुई देरी?

भारत में हर 10 साल में जनगणना होती है, जो 1951 से नियमित रूप से आयोजित की जा रही है। 2021 में होने वाली जनगणना कोविड-19 महामारी के कारण स्थगित कर दी गई थी। इस देरी के कारण जनगणना का चक्र भी बदल गया है, और अब अगली जनगणना 2035 में होगी।

गृह मंत्री की समीक्षा

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 15 जून 2025 को नई दिल्ली में एक उच्चस्तरीय बैठक में जनगणना की तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक में गृह सचिव गोविंद मोहन, भारत के रजिस्ट्रार जनरल मृत्युंजय कुमार नारायण, और अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे। शाह ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी और सटीक बनाने के निर्देश दिए।

Census Notification Issued: निष्कर्ष

2027 की जनगणना भारत के लिए एक ऐतिहासिक कदम होगी, क्योंकि यह न केवल डिजिटल तकनीक पर आधारित होगी, बल्कि जातिगत आंकड़े भी शामिल करेगी। यह प्रक्रिया देश की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को नई दिशा देगी और विकास योजनाओं को अधिक समावेशी बनाएगी। जनगणना के आंकड़े न केवल सरकार के लिए, बल्कि समाज के हर वर्ग के लिए महत्वपूर्ण होंगे।

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