Census 2027 in India: भारत सरकार ने वर्ष 2027 में होने वाली जनगणना की तारीखों की घोषणा कर दी है। यह जनगणना दो चरणों में आयोजित होगी, जिसमें पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 से लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे बर्फीले क्षेत्रों में शुरू होगा। दूसरा चरण 1 मार्च 2027 से देश के बाकी हिस्सों में शुरू होगा।
इस बार की जनगणना में जातिगत गणना भी शामिल होगी, जो आजादी के बाद पहली बार नियमित जनगणना के साथ होगी। यह जनगणना देश की सामाजिक, आर्थिक और जनसांख्यिकीय स्थिति को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। आइए, जानते हैं इस जनगणना से सामने आने वाली 10 महत्वपूर्ण बातें और यह सवाल कि क्या दिल्ली वाकई बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है?
Census 2027 in India: 10 महत्वपूर्ण बिंदु
- कार्यशील जनसंख्या का आंकड़ा: जनगणना 2027 यह बताएगी कि कितने भारतीय कितने समय तक काम करते हैं। 2011 की जनगणना के अनुसार, 36 करोड़ से अधिक लोगों ने खुद को मुख्य श्रमिक के रूप में दर्ज किया था, जिन्होंने छह महीने से अधिक समय तक काम किया। लगभग 10 करोड़ लोगों ने 3 से 6 महीने तक काम किया, जबकि 2 करोड़ से अधिक लोगों ने तीन महीने से कम समय तक काम किया। इसके अलावा, 5.5 करोड़ लोग बेरोजगार थे और रोजगार की तलाश में थे। इस बार का डेटा देश में रोजगार की स्थिति को और स्पष्ट करेगा।
- शहरीकरण का स्तर: जनगणना यह दर्शाएगी कि भारत का शहरीकरण कितना बढ़ा है। 2011 में भारत का शहरीकरण स्तर 31.1% था, और अनुमान है कि अब यह 50% से अधिक हो सकता है। यह जनगणना इस अनुमान की सत्यता को परखेगी।
- गांवों की संख्या में बदलाव: पहली बार ऐसा हो सकता है कि जनगणना में गांवों की संख्या में कमी दर्ज हो। 1981 में 6.05 लाख गांव थे, जो 2011 तक बढ़कर 6.41 लाख हो गए, लेकिन 2021 में यह संख्या घटकर 6.39 लाख हो गई। यह रुझान 2027 में और स्पष्ट होगा।
- जातिगत आंकड़े: यह जनगणना आजादी के बाद पहली बार जातिगत गणना को शामिल करेगी। इससे यह स्पष्ट होगा कि देश में विभिन्न जातियों की आबादी कितनी है, जो आरक्षण और नीतिगत फैसलों के लिए महत्वपूर्ण होगा।
- महानगरों की बदलती सूची: जनगणना से पता चलेगा कि भारत के सबसे बड़े महानगरों की सूची में बदलाव आएगा। बेंगलुरु जैसे शहर चेन्नई को पीछे छोड़ सकते हैं, और नए शहर इस सूची में शामिल हो सकते हैं।
- आबादी का वितरण: यह जनगणना ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में आबादी के वितरण को दर्शाएगी। इससे सरकार को संसाधनों के आवंटन में मदद मिलेगी।
- डिजिटल तकनीक का उपयोग: जनगणना 2027 में मोबाइल ऐप्स और पेपरलेस प्रक्रिया का उपयोग होगा, जिससे डेटा संग्रह तेज और सटीक होगा। डेटा दिसंबर 2027 तक उपलब्ध हो सकता है।
- लिंग-वार आंकड़े: यह जनगणना लिंग के आधार पर जनसंख्या का विस्तृत डेटा प्रदान करेगी, जो नीति निर्माण में उपयोगी होगा।
- प्रवास के रुझान: जनगणना यह भी बताएगी कि कितने लोग एक राज्य से दूसरे राज्य में प्रवास कर रहे हैं, विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों से दिल्ली जैसे शहरों की ओर।
- आर्थिक स्थिति: जनगणना से देश की आर्थिक स्थिति, जैसे बेरोजगारी और आय के स्रोत, पर भी प्रकाश पड़ेगा।
क्या दिल्ली बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है?
कुछ खबरों में यह दावा किया गया है कि दिल्ली बिहार का दूसरा सबसे बड़ा शहर है, क्योंकि यहां बिहार के मूल निवासियों की आबादी भागलपुर, गया और मुजफ्फरपुर जैसे शहरों से अधिक है। हालांकि, यह दावा भ्रामक है। दिल्ली भारत की राजधानी और एक केंद्र शासित प्रदेश है, जिसका कुल क्षेत्रफल 1484 वर्ग किलोमीटर है और 2011 की जनगणना के अनुसार इसकी आबादी 1.67 करोड़ थी। दूसरी ओर, बिहार का सबसे बड़ा शहर पटना है, जिसकी आबादी 2011 में 58 लाख थी। दिल्ली को बिहार का हिस्सा मानना सही नहीं है, क्योंकि यह एक अलग प्रशासनिक इकाई है। बिहार के संदर्भ में दूसरा सबसे बड़ा शहर गया या भागलपुर हो सकता है, लेकिन दिल्ली को इस श्रेणी में नहीं गिना जा सकता। यह दावा संभवतः बिहार से दिल्ली में प्रवास करने वाली आबादी के आधार पर किया गया है, लेकिन यह तकनीकी रूप से गलत है।
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Census 2027 in India: जनगणना 2027 की खासियत
इस बार की जनगणना में डिजिटल तकनीक का उपयोग एक बड़ा बदलाव है। मोबाइल ऐप्स के जरिए डेटा संग्रह होगा, और यह प्रक्रिया 16 भाषाओं में उपलब्ध होगी। सरकारी सूत्रों के अनुसार, मार्च 2027 में जनगणना पूरी होने के बाद दिसंबर 2027 तक राष्ट्रीय, राज्य, जिला और तालुका स्तर पर डेटा जारी किया जाएगा। यह 2011 की जनगणना से तेज है, जब डेटा जारी होने में दो साल लगे थे।
क्यों महत्वपूर्ण है यह जनगणना?
जनगणना 2027 (Census 2027 in India) न केवल आबादी की गिनती करेगी, बल्कि देश की सामाजिक और आर्थिक नीतियों को आकार देगी। जातिगत आंकड़े आरक्षण और सामाजिक न्याय से जुड़े फैसलों को प्रभावित करेंगे। साथ ही, शहरीकरण और प्रवास के रुझान सरकार को बुनियादी ढांचे और संसाधनों के नियोजन में मदद करेंगे। यह जनगणना भारत के बदलते चेहरे को समझने का एक महत्वपूर्ण अवसर प्रदान करेगी।