Agriculture Census of india: कृषि गणना 2021-22, भारत में डिजिटल क्रांति की ओर एक कदम

Agriculture Census of india: कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने “11वीं कृषि गणना (2021-22)” को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। यह गणना भारत जैसे विशाल कृषि-प्रधान देश में किसानों और नीति निर्माताओं के लिए अहम साबित हो रही है। कोविड-19 महामारी के कारण इसमें देरी हुई थी, लेकिन अब यह गणना डिजिटल तकनीकों के साथ और अधिक प्रभावी ढंग से पूरी की जा रही है। 2025 तक, इस गणना ने डेटा संग्रह और विश्लेषण में महत्वपूर्ण प्रगति हासिल की है, जिससे कृषि नीतियों को और सटीक बनाने में मदद मिल रही है। आइए, इस कृषि गणना के बारे में विस्तार से जानते हैं।

Agriculture Census of india: कृषि गणना क्या है?

कृषि गणना हर पांच साल में आयोजित की जाती है, जो देश में कृषि से संबंधित विभिन्न पहलुओं जैसे जोतों की संख्या, क्षेत्रफल, आकार, वर्ग-वार वितरण, भूमि उपयोग, किरायेदारी और फसल पैटर्न आदि की जानकारी प्रदान करती है। यह गणना तीन चरणों में पूरी होती है, जिसमें सूक्ष्म स्तर पर परिचालन जोत (operational holding) को सांख्यिकीय इकाई के रूप में लिया जाता है।

इस गणना के आधार पर मंत्रालय तीन विस्तृत रिपोर्ट जारी करता है, जो राष्ट्रीय और राज्य/केंद्र शासित प्रदेश स्तर पर विभिन्न मापदंडों का विश्लेषण करती हैं। इसके अलावा, जिला और तहसील स्तर की रिपोर्ट संबंधित राज्य/केंद्र शासित प्रदेश तैयार करते हैं।

11वीं कृषि गणना की विशेषताएं

इस बार की गणना कई मायनों में खास है, क्योंकि यह डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके की जा रही है। गणना का फील्डवर्क अगस्त 2022 से शुरू हुआ था, और पहली बार स्मार्टफोन और टैबलेट के माध्यम से डेटा संग्रह किया जा रहा है। इससे डेटा संग्रह तेज और सटीक होगा। इस गणना की प्रमुख विशेषताएं इस प्रकार हैं:

  • डिजिटल भूमि रिकॉर्ड का उपयोग: डिजिटल भूमि शीर्षक रिकॉर्ड और सर्वेक्षण रिपोर्ट का उपयोग करके डेटा संग्रह किया जा रहा है।
  • मोबाइल ऐप/सॉफ्टवेयर का प्रयोग: स्मार्टफोन और टैबलेट पर ऐप/सॉफ्टवेयर के माध्यम से डेटा दर्ज किया जा रहा है।
  • गैर-भूमि रिकॉर्ड वाले राज्यों में पूर्ण गणना: जिन राज्यों में भूमि रिकॉर्ड डिजिटाइज्ड नहीं हैं, वहां चरण-1 में सभी गांवों की पूर्ण गणना की जा रही है।
  • रियल-टाइम निगरानी: डेटा संग्रह की प्रगति और प्रसंस्करण की रियल-टाइम निगरानी हो रही है।

कई राज्यों ने अपने भूमि रिकॉर्ड को डिजिटाइज कर लिया है, जिससे गणना प्रक्रिया और तेज होगी। डिजिटल रिकॉर्ड और मोबाइल ऐप के उपयोग से देश में परिचालन जोतों का एक व्यापक डेटाबेस तैयार किया जाएगा।

Caste Census in India: भारत में जाति जनगणना की आवश्यकता और चुनौतियाँ

डिजिटल कृषि का मतलब

डिजिटल कृषि का अर्थ है सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (ICT) और डेटा पारिस्थितिकी तंत्र का उपयोग करके समय पर और लक्षित जानकारी और सेवाएं प्रदान करना। इसका उद्देश्य खेती को लाभकारी और टिकाऊ बनाना, साथ ही सुरक्षित, पौष्टिक और किफायती भोजन उपलब्ध कराना है।

उदाहरण:

  • कृषि जैव प्रौद्योगिकी: पारंपरिक प्रजनन तकनीकों और आनुवंशिक संशोधन के माध्यम से पौधों और पशुओं में सुधार।
  • सटीक खेती (Precision Agriculture): ICT का उपयोग करके सटीक मात्रा में संसाधनों का उपयोग, जिससे पैदावार बढ़ती है।
  • डिजिटल तकनीकें: ड्रोन, रोबोटिक्स, मौसम निगरानी, और रिमोट सैटेलाइट डेटा का उपयोग।

डिजिटल कृषि के लाभ

  • कृषि यंत्रों का स्वचालन: इनपुट्स का सटीक उपयोग और मैनुअल श्रम की आवश्यकता में कमी।
  • रिमोट सैटेलाइट डेटा: फसल वृद्धि और भूमि/जल की गुणवत्ता की सटीक निगरानी।
  • ट्रेसेबिलिटी और डिजिटल लॉजिस्टिक्स: आपूर्ति श्रृंखला को सुव्यवस्थित करना और उपभोक्ताओं के लिए विश्वसनीय जानकारी।
  • प्रशासनिक सुधार: डिजिटल तकनीकों से प्रशासनिक प्रक्रियाओं का स्वचालन और विस्तारित सरकारी सेवाएं।
  • भूमि रिकॉर्ड का रखरखाव: डिजिटल डेटा के माध्यम से जोतों का सटीक प्रबंधन और भूमि विवादों में कमी।

सरकार की पहल

भारत सरकार ने डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए कई पहल शुरू की हैं:

  1. एग्री स्टैक: यह एक एकीकृत मंच है जो किसानों को कृषि मूल्य श्रृंखला में अंत से अंत तक सेवाएं प्रदान करता है।
  2. डिजिटल कृषि मिशन (2021-2025): कृत्रिम बुद्धिमत्ता, ब्लॉकचेन, रिमोट सेंसिंग, GIS, ड्रोन और रोबोटिक्स जैसी नई तकनीकों पर आधारित परियोजनाएं।
  3. यूनिफाइड फार्मर सर्विस प्लेटफॉर्म (UFSP): यह मंच कृषि पारिस्थितिकी तंत्र में विभिन्न IT सिस्टम्स के बीच सहज एकीकरण प्रदान करता है। यह सेवा प्रदाताओं और किसान सेवाओं का पंजीकरण, मानकों का भंडारण और डेटा विनिमय का माध्यम बनता है।
  4. राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना (NeGP-A): 2010-11 में शुरू की गई इस योजना का उद्देश्य ICT के माध्यम से किसानों को समय पर जानकारी प्रदान करना है। इसे 2014-15 में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों तक विस्तारित किया गया।
  5. अन्य डिजिटल पहल: किसान कॉल सेंटर, किसान सुविधा ऐप, एग्री मार्केट ऐप, और मृदा स्वास्थ्य कार्ड (SHC) पोर्टल।

डिजिटल कृषि को बढ़ावा देने के लिए नीति निर्माताओं को संभावित लाभ, लागत और जोखिमों पर विचार करना होगा। तकनीकी अपनापन बढ़ाने के लिए बाजार की विफलताओं और सार्वजनिक हित को ध्यान में रखना जरूरी है। इसके लिए सरकार को तकनीकी प्रशिक्षण, निवेश और सरकारी-गैर सरकारी साझेदारी पर ध्यान देना होगा।

देश में मजबूत डिजिटल बुनियादी ढांचे की आवश्यकता है, जिसमें सैटेलाइट इमेजिंग, मृदा स्वास्थ्य जानकारी, भूमि रिकॉर्ड, फसल पैटर्न, और बाजार डेटा शामिल हों। डिजिटल एलिवेशन मॉडल (DEM), डिजिटल टोपोग्राफी, भूमि उपयोग और मृदा मानचित्र जैसे उपकरण डेटा दक्षता को बढ़ा सकते हैं।

निष्कर्ष

11वीं कृषि गणना (Agriculture Census of india) और डिजिटल कृषि पहल भारत की खेती को आधुनिक और टिकाऊ बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम हैं। डिजिटल तकनीकों का उपयोग न केवल डेटा संग्रह को तेज करेगा, बल्कि नीति निर्माण को और प्रभावी बनाएगा। यह गणना और डिजिटल पहल किसानों को सशक्त बनाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी।

Join WhatsApp

Join Now

2 thoughts on “Agriculture Census of india: कृषि गणना 2021-22, भारत में डिजिटल क्रांति की ओर एक कदम”

Leave a Comment

WhatsApp Join Group!